मैं सोचता हूं कुछ लिखूं तेरे बारे में ये दिल है कि छुपाने को कहता है। मैं चाहता हूं कि चिल्ला के कहूं सबसे ये दिल है कि चुप रहने को कहता है। मैं चाहता हूं हल्का हो दिल के बोझ ये दिल है कि बोझ ढोने को कहता है। मैं चाहता हूं ये गमContinue reading “दिल चाहता है”
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मैं क्या कर सकता हूं?
स्वतंत्रता दिवस की अग्रिम शुभकामना के साथ ए मातृभूमि तेरे लिए मैं क्या कर सकता हूं, तेरे उपकारों का, क्या मैं बदला चुका सकता हूं? मां मेरी मुझे इक मौका दे, तेरे लिए मां अपनी शीश कटा सकता हूं। ए मातृभूमि तेरे लिए मैं क्या कर सकता हूं? तेरे उपकारों का ,क्या मैं बदला चुकाContinue reading “मैं क्या कर सकता हूं?”