क्यूं खामोश है जिन्दगी , क्या बात है? हर बात में ठंडी आहें, क्या बात है? रात को तारें गिनना, गिनकर यूं मुस्कुराना, क्या बात है? राह चलते – चलते यूं गिर पड़ना, गिर कर फिर संभल जाना, क्या बात है? जुबां से कोई बात नहीं निकलती, दिल के अरमान दबा के बैठे हैं, Continue reading “ख़ामोश जिन्दगी”