वक्त पर मत छोड़ बंदे,
अपने भविष्य को ।
तू कर्म कर ,ना तू शर्म कर,
तू देख बस लोकहित,
मन में सेवाभाव हो।
वक्त पर मत छोड़ बंदे,
अपने भविष्य को ।
तू शब्दभेदी तीर बन,
तू कर्म कर तू धिर बन।
तू बहते अश्क पोंछ डाल,
तू सत्कर्म रूपी बीज डाल,
तू आस्तिक बन, तू नास्तिक बन।
वक्त पर मत छोड़ बंदे,
अपने भविष्य को ।
तेरे कर्म से तेरा भविष्य है,
तू कर्म पथ पर चलता रह।
तेरे नाम से जग को प्रकाश मिले,
तेरे कर्म से नया आयाम मिले।
वक्त पर मत छोड़ बंदे,
अपने भविष्य को ।
तेरे द्वारा होना है, इस युग का भला।
तू चाहे तो बदल सकता है,
अपने जीवन की दशा।
वक्त के अंदर छिपा है ,
भविष्य तेरा,
तू मत देख बंदे कैसा है,
भविष्य तेरा।
तू निर्माता बन अपने भविष्य का,
तू कर्मवीर ,
तू रणवीर ,
तू धैर्यवान बन,
तू निर्माण कर स्वर्णिम युग का।
वक्त पर मत छोड़ बंदे,
अपने भविष्य को ।
लोगों की बातों पर ना ध्यान दे,
बस अपने कर्मो को ही मान दे,
सत्य से बस रख वास्ता।
वक्त पर मत छोड़ बंदे,
अपने भविष्य को।
तेरे कर्म से तेरा भविष्य है,
तू कर्म पथ पर चलता रह।
तेरे नाम से जग को प्रकाश मिले,
तेरे कर्म से नया आयाम मिले।
वक्त पर मत छोड़ बंदे,
अपने भविष्य को ।
तेरे द्वारा होना है,
इस युग का भला।
तू चाहे तो बदल सकता है,
अपने जीवन की दशा।
तू निर्माण कर स्वर्णिम युग का,
तेरे कर्म पे तेरा भविष्य टिका।
कर्म रथ पर हो सवार ,
तू जीत ले संसार को।
कुछ ऐसा करके जा बंदे,
वक्त को तू नहीं,
वक्त तेरा इंतजार करे।
वक्त पर मत छोड़ बंदे,
अपने भविष्य को ।