बिहार शब्द संस्कृत शब्द विहार का तदभव है जिसका अर्थ होता है मठ अर्थात भिक्षुओं का निवास स्थान।
बिहार का उल्लेख सर्वप्रथम शतपथ ब्राह्मण से मिलता है, जिसमे मिथिला के गौरवशाली समाज की आधार शिला रखने वाले विदेह माधव नामक राजा का वर्णन किया गया है।
करीब 12 वीं शताब्दी के अंत में ओदंतपुरी तथा उसके आस – पास में यहां बौद्ध विहारों कि संख्या अधिक होने के कारण इस क्षेत्र का नाम बिहार पड़ा था।
बिहार को नई मान्यता तथा प्रशासनिक इकाई के रूप में जो स्थान प्राप्त हुआ वो शेरशाह सुरी के शासन काल में हुआ।
सन 1857 की क्रांति में बिहार में दानापुर के विद्रोही सैनिकों का नेतृत्व जगदीशपुर के जमींदार कुंवर सिंह ने किया था।
बिहार को बंगाल से पृथक प्रांत बनाने के लिए दिल्ली दरबार में 12 दिसम्बर को घोषणा हुई।
22 मार्च 1912को बिहार उड़ीसा के साथ राज्य के गठन कि अधिसूचना जारी की गई ।
इसी कारण बिहार राज्य स्थापना दिवस 22मार्च को मनाया जाता है ।
1अप्रैल 1912 को बिहार ने बंगाल प्रेसिडेंसी से अलग कर एक अलग प्रांत के रूप में कार्य प्रारम्भ कर दिया।
1916 में पटना उच्च न्यायालय एवम् 1917 में पटना विश्वविद्यालय की स्थापना हुई।
1936 ईस्वी में उड़ीसा को बिहार से अलग कर एक नए प्रांत का दर्जा प्रदान किया गया।
15 नवंबर 2000 को बिहार का पुनः विभाजन हुआ और भारतीय संघ के 28वें राज्य के रूप में झारखंड का उदय हुआ।
बिहार के प्राचीन विश्वविद्यालय
1)नालंदा विश्वविद्यालय – इसकी स्थापना कुमार गुप्त ने कि थी । इसमें विभिन्न देशों के शिक्षार्थी शिक्षा प्राप्त करते थे। इसे बख्तियार खिलजी ने ध्वस्त कर दिया।
2) तक्षशिला विश्वविद्यालय – तक्षशिला गांधार प्रदेश की राजधानी थी तथा इसकी आधारशिला राजा भरत ने रखी थी। इसको पांचवीं शताब्दी के मध्य में बर्बर हूणों ध्वस्त कर दिया था ।
3) विक्रमशिला विश्वविद्यालय –
इस विश्वविद्यालय की स्थापना धर्मपाल ने कि थी । इसमें तांत्रिक विज्ञान की शिक्षा दी जाती थी।इस विश्वविद्यालय को सन 1203ईस्वी में बख्तियार खिलजी ने बर्बाद कर दिया।
4) उदंतपुरी विश्वविद्यालय – इस विश्वविद्यालय की स्थापना पालवंशीय शासक गोपाल ने कि थी ।
5) मिथिला विश्वविद्यालय – इसकी स्थापना उपनिषद काल में ही कि गई थी । यहां मिथिला के राजा जनक धार्मिक विषयों पर तर्क – वितर्क किया करते थे। इस विश्वविद्यालय में न्यायशास्त्र की शिक्षा दी जाती थी।