ऐ वक्त तेरे साथ चलने को
भरसक कोशिश कर रहा हूं
ऐसा लगता है कभी तू आगे और कभी मैं आगे निकल रहा हूं।
तू मेरे साथ है यही सोच के
कभी तन्हा कभी महफ़िल
कभी कारवां के साथ निकल रहा हूं।
तेरे साथ कदम से कदम मिला कर चलने में
अब अंधेरों को भी पार कर रहा हूं।
ऐ वक्त तेरे साथ चलने को
भरसक कोशिश कर रहा हूं
ऐसा लगता है कभी तू आगे और कभी मैं आगे निकल रहा हूं।
तेरे साथ चलते चलते मेरा उम्र गुजर रहा है
मुझे ऐसा लगता है मेरा वक्त गुजर रहा है।
आस रहती है मन में तुझ से हमेशा आगे निकलने की
इसी जद्दोजहत में समय से पहले बूढ़ा हो रहा हूं।
तेरी मेरी दौड़ का सिलसिला जारी रहेगा ,
मैं अंत तक तुझे हराने की कोशिश करता रहूंगा।
कोशिश कितनी कामयाब होती हैं।
ये देखना तुझे भी है ये देखना मुझे भी है।
ऐ वक्त तेरे साथ चलने को
भरसक कोशिश कर रहा हूं
ऐसा लगता है कभी तू आगे और कभी मैं आगे निकल रहा हूं।
तेरे साथ चलने के इन कशमकश भरी रास्तों में
कुछ उजली कुछ काली रात लिए चल रहा हूं।
जिन्दगी का इक – इक पल लगा दिया
तेरे साथ चलने में ,तू समझे ना समझे मैं समझ रहा हूं।
ऐ वक्त तेरे साथ चलने को
भरसक कोशिश कर रहा हूं
ऐसा लगता है कभी तू आगे और कभी मैं आगे निकल रहा हूं।
तेरे साथ चलने का मैं क्या मोल चुका रहा हूं ?
ये तुझे क्या पता ,क्या मैं तुझे बता रहा हूं ?
फिर भी तुझे लगता है मैं खुशी – खुशी
चल रहा हूं ।
अगर अनजान मैं भी हूं तो अनजान तू भी है। लेकिन जानता तू भी है और जानता मैं भी हूं।
ऐ वक्त तेरे साथ चलने को
भरसक कोशिश कर रहा हूं
ऐसा लगता है कभी तू आगे और कभी मैं आगे निकल रहा हूं।
तेरे साथ चलते चलते कितने अपने हुए कितने बेगाने हुए
सब से मिलते बिछड़ते साथ चल रहा हूं!
तेरे साथ साथ दौड़ते ,चलते
कभी आगे निकलते
कभी छूटती ये सांसे
पर पता नहीं चलता तू मुझे पीछे छोड़ आया या मैं आगे निकल रहा हूं।
ऐ वक्त तेरे साथ चलते चलते
मेरे साथ कोई हो ना हो
उनकी यादें साथ रहतीं है।
उन्ही यादों का सहारा लिए
साथ चल रहा हूं।
ऐ वक्त तेरे साथ चलने को
भरसक कोशिश कर रहा हूं
ऐसा लगता है कभी तू आगे और कभी मैं आगे निकल रहा हूं।
लगता है तेरा मेरा रिश्ता है कई जन्मों का
इसलिए तो तू साथ छोड़े भी मैं फिर भी साथ आ रहा हूं।
तेरा मेरा दौड़ ये कब तक चलेगा ये नहीं मुझे पता ,तो क्या पता तुझे भी नहीं???
ऐ वक्त तेरे साथ चलने को
भरसक कोशिश कर रहा हूं
ऐसा लगता है कभी तू आगे और कभी मैं आगे निकल रहा हूं।