“सच अगर सच्चा है, तो उसे चीखना क्यों पड़ता है।”
Ps pooja
आपके इस पोस्ट पर मेरे कुछ विचार।
इसको हम अपने समझ से शेयर कर रहे हैं
सब के सोचने का नजरिया अलग हो सकता है।
सच में हम इसको ऐसे समझ सकते है ।
सच की उम्र कितनी है?
अगर सच बच्चा है तो उसे चीखना पर सकता है।
अगर सच युवा है ताकतवर है तो उसे कहना या चीखना नहीं पड़ता।
अगर सच बुजुर्ग है तो भी वो कुछ कमजोर हो सकता है ,लेकिन चीखना नहीं पड़ता। अपने आपको वह साबित कर सकता है।
निष्कर्ष के रूप में हम ये महसूस करते हैं कि सच अगर ताकतवर है तो सही है अगर ताकतवर नहीं तो उसे हमें खुद ताकतवर बनाना होगा, उसके लिए हमें दूसरे माध्यमों का सहारा लेना होगा।
सच उदाहरण के रूप में कहीं अगर प्राकृतिक आपदा आती है तो हमें किसी को कुछ कहना नहीं पड़ता।
ये सब को मालूम हो जाता है।
लेकिन सच इतना युवा नहीं , बच्चा है तो उसे चीख कर अपनी बात रखनी परती है उसे अनेक माध्यमों का सहारा लेना पड़ता है।
कहीं कोई घटना घटती है तो उसकी जानकारी और उसकी सारी सच्चाई दबी रहती है ,
उसको उजागर करना पड़ता है।
Nice.
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धन्यवाद
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