मेरे जज्बातों को दिशा दो
मेरे जीने की पता दो।
यूं खामोश रहकर बात ना बढ़ाओ
कुछ तो वफ़ा करो।।
खामोश मंजर की खता नहीं
ये तो हाल है दिल का।
अक्सर दिल की बातें दिल में ही
दबी रहती है।।
तू अनजान बनी रहती है
मेरी जज्बातों से।
मैं तरपता रहता हूं तेरी बातों से।।