तेरा इंतजार करते करते ही तो मेरा वक्त गुजरता है
तेरे बेसब्र नयनों ने कभी देखे हैं रास्ते जिनके,
उनके घावों पर मरहम भी नहीं,
क्या अब इंतजार का हक भी नहीं मुझको।
अब आग भी धधक के बुझने वाले है,
क्या अंतिम दीदार भी नहीं मुझको।
यूं तो बेरुखी की भी हद होती है,
तो क्या अब प्यार नहीं मुझसे।
तेरे बातों के ग़ज़ल ने क्या समा था बांधा,
तो क्या अब ग़ज़ल सुनने के काबिल भी नहीं।
वक्त के अंतिम हाशिए पर हूं,
तो क्या अब हाले खबर भी नहीं मेरी।
तेरा इंतजार करते करते ही मेरा वक्त गुजरता है।