चांद को देखा मैंने झुरमुट से निकलते ,
कभी बादलों में छिपते ,
कभी आसमां में खिलते।
कभी इतराते तो कभी,
बादलों कि सवारी करते।
चांद को देखा मैंने झुरमुट से निकलते
कभी इधर से तो कभी उधर से झांकते।
कभी रात को सुलाते ,
कभी खुद ही सो जाते।
कभी तनहाई में,
कभी तारों का महफ़िल सजाते।
चांद को देखा मैंने झुरमुट से निकलते
कभी इधर से तो कभी उधर से झांकते।
Fantabulous 👏👏
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धन्यवाद
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