राहत मिलती है तेरी यादों से ,
मेरी जज्बातों को सकून मिलता है।
जब भी लिख के इजहार करता हूं,
जाने क्यों दिल को आराम मिलता है।
रात को आसमां देखने की आदत हो गई है,
टिमटिमाते तारों में तू नजर आती है।
कभी- कभी संगीत सी बज उठती है कानों में,
ऐसा लगता है जैसे तूने आवाज लगाई है।
अब छिपाने की आदत लग गई जिगरा ,
लोगों अब भी लगता है,
तू आसमां से मुझसे मिलने आती है।
राहत मिलती है तेरी यादों से ,
मेरी जज्बातों को सकून मिलता है।
जब भी लिख के इजहार करता हूं,
जाने क्यों दिल को आराम मिलता है।