अभ्यास मानव को एक वरदान के रूप में मिला है,
ये आप पर है की आप इसको किस रूप में लेते हो।
इसको हम ऐसे समझ सकते है,
किसी भी बात को बार बार
कहना , दोहराना ,करना, उदाहरण के रूप में -:
एक छोटी सी मजाक को अगर बार बार किसी को
कहा जाय तो वह मजाक बड़ी झगड़े की वजह बनती
है। इस से ये पता चलता है,
इसका उपयोग अगर सावधानी से नहीं किया गया तो
ये आपकी जिंदगी में उथल – पुथल मचा सकता है।
ये बात हम सब जानते है ,
मंत्र भी सिद्घ तब जाके होता है जब उसको बार बार दोहराया जाय ,
ये आदिकाल से मानव एवम् अन्य जीव जगत के लिए
बहुत ही आश्चर्य जनक और किसी भी वस्तु को प्राप्त
करने का मार्ग रहा है,
आज दुनिया का विकास इसी का देन है,
और दुनिया के नाश का कारण भी यही रहा है ।
इसको हम कैसे अपनाते है ये हम पर निर्भर है। हम
किस तरह का अभ्यास करते है, उत्थान के लिए या
पतन के लिए,
ये हम अपने आसपास और अपने आप में भी देख
सकते है।किसी भी कार्य को बार – बार करने से हम
उसमें कुशलता प्राप्त कर लेते है।
इसे हम आजमा भी सकते है