१)यादें कितनी महत्वपूर्ण है ,
ये मायने नहीं रखता।
बल्कि ये ज्यादा महत्वपूर्ण है कि आपके उन यादों में आपको क्या याद हैं ?
अच्छी बातें या बुरी बातें
अक्सर हमने देखा है याद वही रहता है जो या तो बहुत बुरी होती है ,
या बहुत अच्छी होती है।
किसी के अच्छे व्यवहार से ज्यादा, हम उसके बुरे व्यवहार को याद रखते है।
किसी ने आपके साथ लाखों बार अच्छे बर्ताव किए हो ,अगर वही इंसान ने एक बार आपके साथ बुरा बर्ताव किया तो हम उसके सारे अच्छे व्यवहार को भूल कर ,उसके बुरे बर्ताव को याद रखते है।
हमेशा हमारा मन बुरे को ही नहीं याद रखता , वह अच्छे को भी याद रखता है ;लेकिन वही बात याद रहता है जो बहुत ही कठिन परिस्थिति में जब कोई आपका साथ देता है ।इस अवस्था में मन उस परिस्थिति को याद रखता है।
२) अक्सर हमने देखा है परिवार के कलह का मुख्य वजह उसका अपनापन होता है ।
अपनेपन में हम कुछ अगर किसी कहते है ,तो सामने वाला भी उसी अपनेपन से सुनता है और हम कुछ ज्यादा ही अपनेपन की उम्मीद कर बैठते है , लेकिन ये नहीं सोचते कि अभी उसकी परिस्थिति क्या है।अभी अंदर से कैसा महसूस कर रहा है।
उसके बाद आपने कुछ भी गलत बोला तो आपकी बातें उसे बहुत ही खराब लगती है अगर यही बातें उसे किसी और ने कही होती तो उसको वह माफ़ कर देता मगर आपको माफ़ नहीं करेगा ।क्योंकि अब बात उसके आत्मसम्मान की आ जाती है,और यही बातें जब कोई दूसरा व्यक्ति कहता है तो वह उसको उतना तब्बजो नहीं देता , माफ़ भी जल्दी ही कर देता है और भूल भी जाता है क्योंकि वो अपना नहीं पराया है।तो अब बात आती है कि ऐसे में हम क्या करें ?
दिल बड़ा करे जब आप उसी बात के लिए दूसरों को माफ़ कर सकते है ; तो अपनो को क्यों नहीं!